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 गाजियाबाद का रहने वाला धर्मेंद्र अपने पास के एक मॉल में कुछ खरीददारी करने गया। उसने दो जींस और शर्ट खरीदी। खरीदारी कर जब वह लौटने लगा तो उसे प्यास लगी। उसने मॉल में ही बिक रहे पानी की एक लीटर की बोतल खरीदी। पानी की बोतल के लिए उसने चालीस रुपये चुकाए। धर्मेंद्र जब मॉल से बाहर निकला तो उसने देखा कि पानी की बोतल की अधिकतम खूदरा मूल्य 20 रुपये लिखा था। वो वापस दौड़ा और जिस काउंटर से पानी खरीदा था वहां पूछा कि लिखी कीमत से ज्यादा क्यों ली गई ? काउंटर पर खड़े सेल्समैन ने कहा कि मॉल में इसकी कीमत चालीस रुपये ही है।  बेचारा धर्मेंद्र वहां से मन में मॉल वालों को भला-बुरा कहते हुए बाहर निकल आया।  इसी तरह के वाक्ये कई बार आपके साथ भी हुए होंगे।


 
कई बार आप मल्टीप्लेक्स या सिनेमा हॉल में जाते हैं और आपको दो सौ मिलीलीटर की कोल्ड ड्रिंक्स की कीमत चालीस रुपये चुकानी पड़ती है।  बाजार में दस रुपये का बिकने वाला चिप्स का पैकेट मॉल में बीस या पच्चीस रुपये में मिलता है। बड़े-बड़े फाइवस्टार अस्पतालों में तो चाय की कीमत भी सौ रुपये से ज्यादा होती है।  अगर आपको प्यास लग गई तो वह अस्पताल आपको लूटने के लिए पहले से जल्लाद की तरह खड़ा मिलेगा।  पानी की एक लीटर बोतल की कीमत पचास रुपये से कम नहीं लेगा। ये सब पूरी तरह से गैरकानूनी है।  अगर आप और हम चाहें तो ऐसी खुलेआम लूट से मुक्ति पा सकते हैं। आइए आपको चेन्नई एयरपोर्ट स्थित सप्तागिरि रेस्टोरेंट का 2009 का एक वाक्या बताते हैं। दिल्ली के डीके चोपड़ा नामक एक यात्री ने वहां के स्नैक बार नाम की एक दुकान से रेड बुल एनर्जी ड्रिंक की एक केन खरीदी। उसकी कीमत उनसे डेढ़ सौ रुपये वसूली गई जबकि केन पर अधिकतम खुदरा मूल्य 75 रुपये लिखा हुआ था। चोपड़ा साहब ने इसकी शिकायत जिला उपभोक्ता फोरम में की। 



उन्होंने कोर्ट से मांग की कि उन्हें दो लाख रुपये मानसिक प्रताड़ना के लिए और ग्यारह हजार रुपये कानूनी और यात्रा खर्च के लिए दिए जाएं।  उनकी शिकायत जिला फोरम में खारिज हो गई। लेकिन चोपड़ा साहब यहीं नहीं रुके। उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया।  वहां भी उनकी अपील खारिज कर दी गई। तब उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपील की। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने चोपड़ा की शिकायत को सही मानते हुए स्नैक बार पर पचास लाख रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही साथ आयोग ने एयरपोर्ट अथॉरिटी को लताड़ भी लगाई और कहा कि ऐसे स्टॉल मालिकों से मिलकर वह नाजायज तरीके से काम कर रही है।
आपको बता दें कि लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के तहत ऐसी किसी भी नाजायज कीमत वसूली के लिए जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के तहत पहली बार अगर ये अपराध पाया गया तो उसे पांच हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा और अगर दूसरी बार शिकायत मिली तो दुकानदार या संचालक को छह महीने की सजा हो सकती है। ऐसे अपराध में लिप्त पाये जाने पर रेलवे जैसी सरकारी संस्था को भी सजा भुगतनी पड़ी है।



 2013 में आईआरसीटीसी पर दिल्ली के एक जिला उपभोक्ता फोरम ने दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। आईआरसीटीसी पर आरोप था कि उसने सॉफ्ट ड्रिंक माजा की कीमत बारह रुपये की बजाय पन्द्रह रुपये वसूली थी। यहां तक कि अगर आप डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से खरीददारी करते हैं तो कई बार दुकानदार आपसे दो प्रतिशत ज्यादा वसूल लेता है।  ये भी कानूनन गलत है। रिजर्व बैंक ने अपने निर्देश में साफ-साफ कहा है कि कोई दुकानदार ग्राहक से ज्यादा नहीं वसूल सकता। दुकानदार को ही क्रेडिट या डेबिट कार्ड के पेमेंट का खर्च उठाना होगा।


ऐसी स्थिति में अगर आपसे मॉल में प्रिंट रेट से ज्यादा का पानी वसूला जाता है तो उसकी रसीद जरुर लें और  इसकी शिकायत जिला उपभोक्ता फोरम या अपने नजदीकी नाप-तौल विभाग में करें। अगर कोई दुकानदार कोल्ड ड्रिंक्स देने पर कूलिंग चार्ज के नाम पर ज्यादा पैसे वसूल रहा है तो उसकी भी शिकायत नजदीकी नाप-तौल विभाग में जरुर करें। अगर उसके खिलाफ पहली बार शिकायत पाई गई तो उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।  अगर पहली शिकायत के बाद भी वो दोबारा वैसी ही अवैध वसूली करता पाया गया तो उसे छह माह की जेल हो सकती है।


कई दुकानदार ऐसे होते हैं जो तौलने में बड़ी गड़बड़ी करते हैं। कई बार वे अपनी तराजू पर बाट तो एक किलो का रखते हैं लेकिन उसका वजन एक किलो से कम होता है। ऐसे में आप तुरन्त उसकी शिकायत खाद्य विभाग के साथ-साथ नाप-तौल विभाग में करें।  उस दुकानदार को जुर्माने के साथ-साथ सजा भी मिलेगी। अगर आप रेल या हवाई यात्रा कर रहे हैं और आपसे ऐसी ही ओवरचार्जिंग की जाती है तो आप रेलवे और एयरपोर्ट  अथॉरिटी के संबंधित उच्चाधिकारी से शिकायत करने के अलावा उपभोक्ता फोरम का दरवाजा जरुर खटखटाएं आपको न्याय जरुर मिलेगा।

अगर आप डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करते हैं और आपसे दो फीसदी ज्यादा रकम वसूली जाती है । इसके लिए आप रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से इसकी शिकायत जरुर करें। दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई होगी। लेकिन याद रखें अपनी शिकायत को पुख्ता करने के लिए अपने पास खरीदी गई वस्तु और उसकी रसीद सबूत के तौर पर जरुर रखें क्योंकि बिना सबूत के आपकी शिकायत कहीं नहीं सुनी जाएगी।

Comments ( 2 )

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