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इस कड़ी में हम आपके लिए लाए हैं विदेशों की कुछ शानदार जगहें। आखिर जब गर्मियों की छुट्टियां लंबी हैं तो हमारे आइडिया क्यों खत्म हो जाएं। हमारे आसपास की प्रकृति के रंग इतने विविध हैं तो भला वे रंग हमारे सैर-सपाटे में भी तो झलकने चाहिए। आइए चले कुछ विदेश यात्राओं पर-


क्रूज: सिंगापुर


समुद्र की लहरों पर मौज-मस्ती

टाइटैनिक की कहानी डराती जितना भी हो, समुद्र की यात्रा के लिए आकर्षित भी खूब करती है। समुद्र की सैर का अपना मजा है। खास तौर पर अगर यह सैर पानी के किसी क्रूज जहाज से हो तो क्या बात है। आम तौर पर बड़े क्रूज जहाज अपने आप में किसी शहर जैसे होते हैं। रहने के लिए शानदार कमरे, मनोरंजन के लिए कई थियेटर, क्लब, अलग-अलग खाने के रेस्तरां, बार, कई तरह की गतिविधियां, खेल-कूद, कैसिनो, शॉपिंग मॉल, स्विमिंग पूल- यहां आपको किसी चीज की कमी महसूस नहीं होगी।



                                                   क्रूज की दुनिया बिलकुल अलग होती है। अंदर की रंगीनियत अलग और बाहर डेक पर जाएं तो दूर-दूर तक समंदर का नीला पानी। तीन-चार दिन के क्रूज में आपको समुद्र में सैर करते-करते कुछ नई जगहों को देखने का बढ़िया मौका भी मिल जाता है। सिंगापुर को दक्षिण एशिया में क्रूज का सबसे बड़ा हब माना जाता है। भारत में इंटरनेशनल क्रूज के लिए इस तरह का कोई पोर्ट नहीं है। हालांकि कोच्चि से बीच-बीच में कुछ क्रूज लाइन अपनी सेवाएं चलाती रही हैं। सिंगापुर का क्रूज सेंटर कमोबेश किसी हवाई अड्डे सरीखा है। उसी तरह का माहौल, उसी तरह की सहूलियतें। सिंगापुर का क्रूज सेंटर हर साल दस लाख क्रूज यात्रियों के आवागमन को हैंडल करता है। यहां से तीस से ज्यादा क्रूज लाइन के जहाजों की सेवाएं हैं। मलेशिया और इंडोनेशिया के शहरों के लिए फेरी सुविधा भी यहां से है।


कैसे जाएं: सिंगापुर पहुंचने के लिए कई साधन हैं। सिंगापुर का चांगी इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया के सबसे व्यवस्ततम एयरपोर्ट में से एक है। दुनिया के साठ से ज्यादा देशों के दो सौ से ज्यादा शहरों के लिए सौ से ज्यादा एयरलाइंस की उड़ानें यहां से हैं। भारत के सभी महानगरों से सिंगापुर के लिए रोजाना कई उड़ानें हैं। दिल्ली से सिंगापुर का प्रति व्यक्ति वापसी किराया लगभग 24 हजार रुपये से शुरू हो जाता है। क्रूज के पैकेज का खर्च अलग होगा।


फैंटेसी: मकाऊ


एक चमकती-मचलती दुनिया


मकाऊ की दुनिया चकाचौंध करने वाली है। एक काल्पनिक सी। चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित यह जगह एक देश- दो व्यवस्थाओं का नमूना है। चीन में ही हांगकांग इसका दूसरा उदाहरण है। विशेष क्षेत्र होने के कारण इसे सुविधाएं भरपूर मिलती हैं और बाकी देश के कानून भी इसपर लागू नहीं होते। जाहिर है, कि यह इसकी टूरिज्म इंडस्ट्री के शानदार तरीके से फलने-फूलने की बड़ी वजह है।  हालांकि मकाऊ एक ऐतिहासिक शहर है और सैकड़ों सालों से चीन से जाने वाले सिल्क के लिए एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहा है, लेकिन आज का मकाऊ एक जगमगाता और चकाचौंध करने वाला शहर है।


 
                                                            सब तरफ वैभव बिखरा पड़ा है। मकाऊ की प्रसिद्धि की एक वड़ी वजह वहां के कैसिनो और यहां की गैम्बलिंग की दुनिया है। इतनी ज्यादा कि यहां की गिनती अमेरिका में लास वेगास के बाद होने लगी है। यहां की रातों के नजारे अलग ही होते हैं। यहां दिन व रात में आसमान का रंग बेशक बदल जाए, माहौल की रंगीनियत चौबीसों घंटे एक सरीखी रहती है। यहां के वैभव ने एक से बढ़कर एक रिजॉर्ट व बाजार। खड़े कर लिए हैं। किसी समय पुर्तगाल का उपनिवेश होने की वजह से मकाऊ में चीन के साथ-साथ यूरोपीय शैली भी भरपूर झलकती है। वहीं मकाऊ टॉवर एडवेंचर का गढ़ है।


कैसे पहुंचे: मकाऊ का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ताइपा द्वीप पर है। यह द्वीप मकाऊ के फेरी टर्मिनल से 15 मिनट के सफर पर स्थित है। सैलानियों के लिए बड़ा आकर्षण होने की वजह से मकाऊ के लिए दुनिया भर से उड़ानें हैं।


एक्सट्रीम: क्वींसटाउन


दुनिया की रोमांच राजधानी


उस शहर जाने की कल्पना ही रोमांचक हो सकती है जिसे दुनिया की एडवेंचर कैपिटल के रूप में शोहरत हासिल हो। जिन्हें हम एक्सट्रीम एडवेंचर की संज्ञा देते हैं, वे सभी यहां हैं। हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड के क्वींसटाउन शहर की।  कहा जाता है कि उन्नीसवीं सदी के मध्य में जब क्वींसटाउन में शॉटओवर नदी में सोना मिलने की खबर फैली तो लोग यहां उमड़ने शुरू हो गए थे। आखिरकार जब सोना खत्म हो गया तो यहां पहुंचे लोगों का ध्यान यहां के पहाड़ों और नदियों की खूबसूरती पर गया और तब उन्होंने यही बसने का फैसला कर लिया। रोमांच में यहां शुरुआत पिछली सदी के मध्य में स्कीइंग से हुई।



                                                        1970 के दौरान जेट बोटिंग की शुरुआत हुई। यह एक तरह से विशुद्ध रूप से रोमांच की दुनिया को क्वींसटाउन की देन थी। शॉटओवर नदी की गहरी कंदराओं में से जेटबोट की राइड का रोमांच ही अलग है। कुछ ही समय बाद रिवर राफ्टिंग भी क्वींसटाउन की नदियों में शुरू हो गई। 1988 में ऐ जे हैकट ने यहां बंजी जंपिंग की शुरुआत की। क्वींसटाउन को बंजी जंपिंग का जनक माना जाता है। आज यहां बंजी जंपिंग की कई साइट हैं।एक समय तो हैकट एंड कंपनी 450 मीटर की ऊंचाई से हेलीकॉप्टर से बंजी जंपिंग करा रहे थे। हालांकि सरकारी नीतियां बदलने से बाद में उसे रोकना पड़ा। क्वींसटाउन ही टेंडम पैरापेंटिंग व कमर्शियल  स्काइडाइविंग का भी मुख्य अड्डा है। इसके अलावा यहां टेंडम हैंग ग्लाइडिंग, पैरासेलिंग व एब्सेलिंग जैसी गतिविधियां भी होती हैं। सैलानी क्वींसटाउन केवल एडवेंचर के लिए जाते हैं, जबकि वहां की प्राकृतिक खूबसूरती भी किसी जगह से कम नहीं।


कैसे जाएं: न्यूजीलैंड के दक्षिणी द्वीप के दक्षिण-पश्चिमी कोने में स्थित क्वींसटाउन में हालांकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, लेकिन यहां की सारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें आस्ट्रेलिया के विभिन्न शहरों से होकर हैं।


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ग्लैमर: पेरिस


एन इवनिंग इन पेरिस


सीन नदी के किनारे बसा फैशन व ग्लैमर का यह शहर हममें से कई के लिए कल्पनाओं का शहर रहा है। पेरिस की जगमगाती शामों को सिनेमा के पर्दों पर देख-देखकर हममें से कई का मन लुभाया होगा। पेरिस का वह दबदबा आज भी कायम है। पेरिस को सबसे खूबसूरत व सबसे रोमांटिक शहरों में से एक होने की शोहरत हासिल है। संस्कृति, कला, फैशन, फूड व डिजाइन के क्षेत्र में पेरिस का असर समूची दुनिया पर है।



                                                            पेरिस को सिटी ऑफ लाइट्स के साथ-साथ फैशन की राजधानी भी कहा जाता है। दुनिया के सबसे शानदार व भव्य डिजाइनर्स और कॉसमेटिक्स का भी गढ़ पेरिस ही है। लेकिन इस शहर का जुड़ाव इतिहास से भी उतना ही है। सीन नदी समेत शहर का काफी बड़ा हिस्सा यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में शामिल है। आखिरकार यहीं तो एफिल टॉवर भी है जो दुनिया में सबसे घूमे जाने वाली जगहों में से है। टोक्यो के बाद यहीं पर दुनिया में सबसे ज्यादा मिशेलिन रेस्तरां (रेस्तराओं की क्वालिटी का अंतरराष्ट्रीय पैमाना) हैं।                                                            
                                                         
                                                            पेरिस की लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि यहां हर साल साढ़े चार करोड़ सैलानी आते हैं। पेरिस को ग्लैमर की दुनिया में इसलिए भी काफी ऊपर आंका जाता है क्योंकि यहां कंसर्ट, थियेटर, सिनेमा, फैशन शो... हर वक्त कुछ न कुछ होता रहता है। यहां के थीम पार्क और गुदगुदाती शामें, आपको चमत्कृत करती रहेंगी। अलग-अलग संस्कृतियों को जगह देने के कारण भी पेरिस को बाकी शहरों की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता है।


कैसे पहुंचे: पेरिस में रोजाना कितने लोग उमड़ते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां तीन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे हैं। दुनियाभर से उड़ानें यहां पहुंचती है। भारत से भी वहां के लिए रोजाना कई उड़ानें हैं (वापसी किराया 35 हजार रुपये से शुरू)। पेरिस यूरोप के बाकी सभी बड़े शहरों से हाई स्पीड रेल नेटवर्क से भी जुड़ा है।

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