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बागेश्वर। बागेश्वर जिले के बैजनाथ मंदिर समूह के एक कमरे में देवी-देवताओं की 122 मूर्तियां पिछले चार दशकों से कैद हैं। इनमें कुछ मूर्तियां अष्ठधातु की तो कुछ पत्थरों की हैं। इन मूर्तियों की सुरक्षा पर हर साल लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। आज तक कोठरी में बंद इन मूर्तियों को रखने के लिए एक संग्रहालय तक नहीं बनाया गया है।



कहा जाता है कि विशेष शैली और बेजोड़ शिल्पकला वाले बैजनाथ मंदिर और इसके आसपास स्थित दर्जनों छोटे-बड़े देवालयों का निर्माण आज से सैकड़ों साल पहले सातवीं-आठवीं सदी में कत्यूर राजाओं ने कराया था। इसका उल्लेख कुछ ताम्रपत्रों और शिलालेखों में ‌भी मिलता है। वर्ष 1970 तक इस मंदिर समूह की इन दुर्लभ मूर्तियों को एक कक्ष में रखा गया था। लेकिन इनमें से कुछ मूर्तियों के चोरी होने के बाद पुरातत्व विभाग ने 122 मूर्तियों को मंदिर परिसर में ही एक कमरे में रखकर पहरा बिठा दिया।


अब पिछले तीन दशकों से कमरे में बंद मूर्तियों की सुरक्षा के लिए हर समय पुलिस के जवान पहरा देते हैं। अलग राज्य बनने के बाद भी इन मूर्तियों को संग्रहालय में रखने की कोई पहल नहीं हुई है। यदि मूर्तियों को संग्रहालय में रखा जाता तो न केवल यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता बल्कि इतिहास में रुचि रखने वाले देश-विदेश के लोगों के साथ ही शोधार्थियों के लिए भी सहायक सिद्ध होता।


कुमांऊ की काशी के नाम से जाना जाने वाला उत्तराखंड राज्य का बागेश्वर जिला धार्मिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। कभी कत्यूर शासकों की राजधानी रहे बागेश्वर के मंदिर समूह और इनमें रखी विशेष कलाकृति वाली देवी-देवताओं की मूर्तियां सदियों पुरानी संस्कृति और यहां के वैभव की कहानी स्वयं ही बता देती हैं। सातवीं-आठवीं शताब्दी में बने मंदिरों में मुख्य रूप से बागनाथ मंदिर समूह, बैजनाथ मंदिर समूह, लक्ष्मी नारायण मंदिर, केदारेश्वर, रक्षा देवल, शक्तिनारायण और बद्रीनाथ मंदिर शामिल हैं। विशेष शैली में हरे पत्थरों को तराशकर बनाए गए यहां के मंदिर पुरातात्विक महत्व को भी बताते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश सरकार ने आज तक इन मूर्तियों को कोठरी से बाहर निकालने के लिए कोई पहल नहीं की है।



बागनाथ मंदिर में भी हैं 60 मूर्तियां


बागेश्वर के बागनाथ मंदिर में भी देवी-देवताओं की 60 मूर्तियां एक कमरे में बंद की गई हैं। इनमें शिव, उमा-महेश, चतुर्मुखी शिवलिंग, धनकुबेर, लक्ष्मी और सूर्य भगवान की पत्थर की मूर्तियां हैं।


" सुरक्षा की दृष्टि से बागनाथ मंदिर परिसर के एक कक्ष में रखी गई मूर्तियों के लिए म्यूजियम बनाने की योजना है। म्यूजियम बनने के बाद सभी मूर्तियां उसी में रखी जाएंगी। इससे मूर्तियों की सुरक्षा तो होगी ही पर्यटक भी सदियों पूर्व बनी मूर्तियों के विषय में जान सकेंगे। " - सीएस चौहान,पुरातत्व अन्वेषक, अल्मोड़ा


मूर्तियों के एक कमरे में बंद होने से यहां आने वाले सैलानी इन्हें ठीक से देख नहीं पाते हैं। इसको देखते हुए पुरातत्व विभाग की ओर से म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यदि म्यूजियम में इन मूर्तियों को रखा जाय तो पर्यटकों के लिए यह विशेष आकर्षण का केंद्र बनेंगी।

Comments ( 1 )

  • ??????? ?????

    अति उत्तम।

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