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जलवायु परिवर्तन का अर्थ लंबी अवधि के लिए धरती के तापमान और वायु में परिवर्तन के संदर्भ में लगाया जाता है । ये कुदरत के निरंतर क्रमविकास का हिस्सा है और हर भूवैज्ञानिक युग में ये होता रहा है । हांलाकि ये प्राकृतिक क्रिया है फिर भी इसमें तेजी लाने के लिए मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार हैं । प्राकृतिक संसाधनों का बेतहाशा दोहन,ग्रीन हाउस गैसों का असर,धरती के हरित आवरण में कमी जैसी घटनाएं खासकर 20 वीं शताब्दी के अंतिम आधे हिस्से में ज्यादा देखने को मिलीं और ये लगातार जारी भी हैं ।
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साल 2006 का एक वैज्ञानिक अध्ययन इन इलाकों में पंखे और फ्रिज जैसे उपकरणों के बढ़ते इस्तेमाल को तापमान वृद्धि का प्रमाण मानता है । साल 2000 का एक अध्ययन ये दावा करता है कि फरवरी माह का औसत तापमान बढ़ा है जबकि मॉनसून के सीजन की अवधि घटी है । इतना ही नहीं जो कभी हिमपात वाले इलाके हुआ करते थे वहां अब हिमपात की जगह वर्षा होते देखी जा रही है । भूस्खलन , हिमस्खलन और चट्टानों के टूटकर गिरने की घटनाएं राज्य में बढ़ी हैं । इन सारी घटनाएं के पीछे प्राकृतिक और मानवनिर्मित गतिविधियां प्रमुख कारण हैं ।