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बॉलीवुड और छोटे पर्द के चरित्र अभिनेता मनोज बख्शी आज मनोरंजन जगत में बखूबी पहचाने जाने वाले नाम हैं । न्यूज फ़ॉर ग्लोब के लिए संवाददाता हर्षराज ने उनसे एक खास साक्षात्कार किया । प्रस्तुत है मनोज बख्शी से बातचीत के प्रमुख अंश -   




एन.एफ.जी. - मनोज जी आपका अभिनय की ओर रुझान कब से हुआ और एक्टिंग में पहचान बनाने के लिए आपको किस तरह की मुश्किलों का  सामना करना पड़ा ?

मनोज बख्शी- रुझान तो मुझे इंटरमीडिएट से ही रहा पर पहले मैंने ग्रेजुएशन कम्पलीट की । दरअसल मेरे फादर कहते थे पहले एडुकेट  हो लो, क्यों की बाद में ये लाइन रिस्की होती हैं। कभी इंसान सफल होता हैं कभी नहीं भी होता है । लिहाजा मैंने ग्रेजुएशन तक पढाई की इसके बाद हाफ "एल.एल.बी." और हाफ "एम.बी.ए." किया । दरअसल दोनों अधूरे रह गए क्योंकि मुझे जॉब भी करनी पड़ी । कठिनाई ये थी कि फिल्म लाइन में जाने की हमें घर वाले भी इजाज़त नहीं दे रहे थे । वजह ये थी कि एक्टिंग की लाइन में आपको तत्काल पैसे नहीं मिलते दूसरे जॉब्स की तरह । दूसरे जॉब्स में जहां आपको हर मंथ सैलरी मिलती है वहीं फिल्म लाइन में ऐसा नहीं है । यहाँ पता नहीं रहता कि आपको पेमेंट कब मिलेगा ? कब तक मिलेगा ? कितना मिलेगा ? कोई निश्चित नहीं है , ये कठिनाई रही ।



एन.एफ.जी.- हाल ही में आपने सलमान खान जी की सुपरहिट फ़िल्म बजरंगी भाई जान में काम किया उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा आपका ?

मनोज बख्शी- बहुत ही बढ़िया रहा । दिल खुश हो गया उनके साथ काम करके बिलकुल रॉयल इंसान हैं वो, किसी चीज़ का डर नहीं कि सामने वाला एक्टर कैसा होगा ,कैसा नहीं । सलमान साहब ने कई मौकों पर मेरी बड़ी हेल्प की । वो बहुत ही प्यार से बिहेव कर रहे थे । उनके साथ काम करके बड़ा मजा आया मुझे । सलमान साहब ने कई बार अपने साथ बैठ कर खाने का मौका भी दिया ।


एन.एफ.जी
.-अब तक के आपके कैरियर में सबसे यादगार लम्हा कौन सा रहा और क्यों ?

मनोज बख्शी - मैं यश चोपड़ा साहब की फ़िल्म "जब तक हैं जान" की शूटिंग के दौरान शाहरुख खान जी के साथ एक रोल में था । मैं अकेला आदमी था जो दिल्ली से लंदन ब्रिटिश एयरवेज से गया था शूटिंग करने । वहां जो होटल था उसमे यश जी, कैटरिना कैफ, शाहरुख खान और पम्मी आंटी सब वहीं ठहरे हुए थे और हम लोग इक्ट्ठे खाना खाते थे । शूटिंग के वो लम्हे बड़े यादगार रहे । मुझे ऐसा लगा की चलते-चलते यश जी मुझे आशीर्वाद दे गए क्योंकि उसके बाद ही उनकी डेथ हो गई । उनसे बिछड़ने का मुझे बहुत दुःख हैं ।



एन.एफ.जी
.- बॉलीवुड में आपका सबसे पसंदीदा कलाकार और आदर्श कौन है ? उनसे क्या कुछ सिखने को मिला आपको ?

मनोज बख्शी -  अमिताभ बच्चन जी । उनसे ये सीखा की फ़िल्म इंडस्ट्री में उनका बैकग्राउंड नहीं था , वो फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं आए थे और उनकी लैंग्वेज भी डिफरेंट थी । उनके आने से पहले राजेश खन्ना जी, राजेंदर कुमार जी, दिलीप साहब जितने भी हीरोज थे वो सभी बड़े ही नम्रता से बात करना अपने आपको स्क्रीन पे बखूबी प्रेजेंट करते आये थे लेकिन अमित जी उत्तर प्रदेश का फ्लेवर ले कर आये थे जो कुछ डिफरेंट था । वो एक एंग्री यंग मैन के हिसाब से था । मुझे दो बार उनकी शूटिंग देखने का मौका मिला और उसमे मैंने ये देखा की यदि उनका टाइम 7 बजे का हैं तो करेक्ट 7 बजे ही उनकी एंट्री होती थी । दूसरा मुझे उनसे तहजीब सीखने को मिली उनसे । इतना बड़ा मेगास्टार होने के बावजूद लोगो से वो हम्बली बात करते हैं । कोई उलटे सीधे डाइलोग अपनी फ़िल्म में नहीं बोलते , एक तहजीब है । उनके अंदर जिससे लोगो को बहुत प्रेरणा मिलती है । मैं उन्हें सैल्यूट करता हूं ।


एन.एफ.जी.
- आपका व्यक्तित्व बड़े ही शांत स्वभाव का प्रतीत होता है। क्या कभी किसी से अनबन हुई आपकी फ़िल्म इंडस्ट्री में आपके अभिनय या किसी किरदार को लेकर ?

मनोज बख्शी
-  बिलकुल सही पकड़ा आपने । मैं वाक़ई काफी शांत स्वभाव का हुं । मैं जब तक पर्सनली मेरे साथ कोई दिक्कत नहीं होती है तब तक मैं एक्साइट नहीं होता और फ़िल्म में रोल को लेकर कभी कोई प्रॉब्लम नहीं हुई । हां, एक परेशानी ये रही है कि कभी कभार ऐसा हुआ मेरे साथ कि रोल तो मैं निभा आता हूं, पैसे भी मिल जाते हैं पर जब वो सीन कट जाता था तो इसका बड़ा दुःख होता था ।



एन.एफ.जी.
- कहां काम करना ज्यादा लुभाता हैं आपको , छोटे पर्दे पर या सिल्वर स्क्रीन पर ?

मनोज बख्शी - बड़े परदे पर काम करना ज्यादा पसंद है क्योंकि एक बार आपने काम किया और लाइफ टाइम उसे लोग देखते हैं । छोटे परदे पर एक लंबा समय तक जाता है और आप एक ही रोल में घुसे  रहते हैं इसीलिए सिल्वर स्क्रीन ज्यादा पसंद है मुझे।


                                                                                   

  
                                                                                   

           
                                                                                   

                                                                                   

                         

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