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आज अधिकांश लोग हृदय की बीमारी से पीड़ित हैं जिसका सीधा संबंध हमारी जीवन शैली,खान-पान और हमारी मानसिक सोच पर निर्भर है । हृदय हमारे शरीर में रक्त को हर अंग तक पहुंचाता है ।

                                                    शरीर के लिए जरूरी पोषण और प्राणवायु हमें रक्त के द्वारा प्राप्त होती है ।  हृदय का दाहिना भाग शरीर से इकट्ठा किया रक्त प्राप्त कर उसे फेफड़ों तक पहुंचाता है ।रक्त फेफड़ों से प्राणवायु प्राप्त कर हृदय के बांए भाग में एकत्र होता है ।हृदय का बांया भाग इस प्राणवायु रक्त को हमारे शरीर के हर एक अंग तक पहुंचाकर उसे पोषित करता है ।
       हृदय की कुछ महत्वपूर्ण बीमारियां - कार्डिएक फेल्योर- इसमें हृदय का दाहिना या बांया भाग  काम करना बंद कर देता है ।



LEFT VENTRICULAR FAILURE:
इसके कुछ मुख्य कारण हैं -

-शराब का अत्यधिक सेवन
-हृदय की मांसपेशियों का संक्रमण
-उच्च रक्त चाप
-हाइपोथायराइड
-हृदय की धमनियों का पतला होना

RIGHT VENTRIGULAR FAILURE:-इसके कुछ मुख्य कारण हैं -

-उच्च रक्त चाप की वजह से हृदय के दाहिने भाग पर ज्यादा दबाव पड़ता है ।
-हृदय के बांये भाग के काम न करने की वजह से दाहिने भाग पर भी असर पड़ता है । 
-हृदय की धमनियों में रुकावट या पतला होना ।
-सांस लेने में तकलीफ,कमजोरी,पांव में सूजन आना।

MYOCARDIAL INFARCTION :-  शोधगलन - आमतौर पर दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है । दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है और दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं ।

लक्षण- सांस की तकलीफ,मिचली,उल्टी,घबराहट,पसीना और चिंता/अचानक छाती में दर्द(बांए हाथ या गर्दन के बांए ओर)
कारण - धमनियों की दीवार में अथेरोस्टलेरीसिस(कोलिस्ट्राल) का जमाव,मानसिक तनाव,शारीरिक परिश्रम ,अधिक शराब का सेवन,मोटापा,उच्च रक्त चाप 45 वर्ष के पुरुष और 55 वर्ष की महिलाओं में देखा गया है । खासकर वे महिलाएं जो मौखिक गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल अधिक समय के लिए करती हैं ।

जांच - ईसीजी,एंजियोग्राफी,रक्त परीक्षण

बचाव
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- संतृप्त वसा के बजाय बहुसंतृप्त वसा का सेवन करना ।
-फल और सब्जियों का सेवन
-जीवन शैली में परिवर्तन,व्यायाम,रक्तचाप प्रबंधन,धूम्रपान बंद करना
-साबुत अनाज के सेवन से भी शोधगलन को कम किया जा सकता है ।

ANGINA DECTORIS
- उर:शूल - एक ऐसा रोग है जिसमें हृदय पर बांए सीने पर ठहर-ठहर कर हलकी या तीव्र पीड़ा होती है । जो कि बांए कंधे तथा बाईं बांह में फैल जाती है । दर्द थोड़े ही समय रहता है । यह दर्द भय,क्रोध आदि अनेक ऐसी ही मानसिक अवस्थाओं के कारण होता है । जिसमे हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है ।

कारण- इस रोग में हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों का मार्ग संकुचित हो जाता है ।

उच्च रक्त चाप,मधुमेह,रुमेटिज्म,सिफलिस के कारण हृदय की धमनियों पर असर पड़ता है ।

डॉ.अभय से पूछें अपने सवाल,इस मेल आई.डी पर - contactdrabhay@gmail.com
               
हृदय रोग में होम्योपैथी द्वारा इलाज संभव है । अगर मरीज एक कुशल
होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा का सेवन करता है । तो वह अपने हृदय की परेशानी में राहत पा सकता है । हृदय रो में उपयोगी कुछ मुख्य होम्योपैथिक दवाइयां इस प्रकार हैं -

डिजीटेलिस (DIGITALIS)
- नाड़ी का धीमे चलना और हृदय की मांसपेशियों की कमजोरी तनाव की स्थिति में नाड़ी का तेज होना मरीज का सोचना कि अगर वह चलेगा तो उसकी हृदय की धड़कन बंद हो जाएगी । बांए हाथ में सूनापन और कमजोरी नींद में बाधा
और घबराहट जैसे लक्षणों में इस औषधि का प्रयोग कारगर हो सकता है ।

जेलसेमियम (GELSEMIUM)
- मरीज का यह सोचना कि अगर वह शांत बैठेगा तो उसकी
हृदय की धड़कन बंद हो जाएगी इसलिए वह तेज चलना चाहता है । हाथ में दर्द के साथ
कमजोरी और थकान जैसे लक्षणों में इस औषधि का प्रयोग कारगर साबित हो सकता है ।

कैक्टस,ग्रैंडीफ्लोरस (CACTUS,GRANDIFLORUS) - हृदय में प्रतीत होना कि किसी ने
लोहे के पंजे में जकड़ रखा हो । हाथ में चमक के साथ दर्द । नाड़ी का तेज चलना ।
यह रूमैटिक कार्ड डाइटिस के लिए अच्छी दवा है ।

                        काल्मिया लैटिफोलिया (KALMIA LATIFOLIA)
    -  हाथ में सूनापन और हृदय के आकार में बढ़ोतरी के लिए
      अच्छी   दवा है जो कि रूमैटिज्म के साथ ही सांस का फूलना,दिल
         की धड़कन का तेज होना जैसी समस्याओं के लिए उपयोगी दवा है । 
                                                                 हृदय रोग में और भी हौम्योपैथिक दवाइयां कारगर हैं जिनका चयन मरीज की हालत देखकर कुशल चिकित्सक के द्वारा किया जा सकता है । पाठकों से आग्रह है कि वे किसी भी औषधि  का प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से जांच जरूर करवा लें ।







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