???????????

      www.newsforglobe.com के खास आग्रह पर श्री आनंद कुमार का विशिष्ट आलेख

                                  शुरुआती दौर से ही अभिभावक को चाहिए कि वे अपने बच्चों में सम्मान की भावना का बीजारोपण करें। शिक्षकों की डांट पर शिक्षकों की शिकायत करने से अच्छा है कि वे बच्चों को उनकी गलतियों को दूर करने के लिए प्रेरित करें।जैसे नेता, खिलाड़ी और बड़े-बड़े व्यापारी हमारे देश में रोल मॉडल की तरह है, अगर उसी तर्ज पर केंद्र और राज्य सरकार एक ईमानदार शिक्षक की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करे, तो वह शिक्षक बच्चो के लिए पथ प्रदर्शक बन सकते हैं। जरूरत इस बात की भी है कि इंजीनियर, डॉक्टर या प्रबंधन क्षेत्र में जैसे बच्चो को तैयार करने के लिए जैसे बड़े-बड़े संस्थान खोले गए हैं उसी तरह शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए भी कुछ संस्थान खोले जाएं। जिसमें प्रवेश पाना बच्चों के लिए गर्व की बात हो। अगर सब मिलकर एक ऐसा सामूहिक प्रयास करें तभी संभव है कि देश में शिक्षा के प्रति समर्पणऔर शिक्षक के प्रति सम्मान बढ़ सकेगा। और नए भारत के भविष्य निर्माण को अमली जामा पहनाया जा सकेगा।                                                              


मेरे अनुसार देश में शिक्षकों की भारी कमी ने भारत के भविष्य निर्माण पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। आज देश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों के लाखों पद खाली पड़े हैं। शिक्षक का पेशा लोगों को नीरस लगने लगा है। कभी गौरव का विषय माना जाने वाला शिक्षक का पेशा लोगों को आज बोझ लगने लगा है। ऐसे हालात में देश के सुनहरे भविष्य का निर्माण कैसे हो सकत है ? अब वक्त आ गया है जब देश के नीति निर्धारकों को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा। मेरे अनुसार शिक्षक एक कुम्हार की तरह है और जैसे गीली मिट्टी को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि वह कुम्हार के चाक पर जाकर क्या आकार लेगा क्योंकि उसकी कमान कुम्हार के हाथों में होती है। उसी तरह छात्र की कमान भी शिक्षकों के हाथ में होती है और वह निर्मल कच्ची मिट्टी की तरह होता है अब यह शिक्षक पर निर्भर करता है कि वह छात्र को कैसे आकार में ढालता है।

अन्य महत्वपूर्ण लिंक - http://super30.org/
                                               मेरा मानना है कि आज शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान देने की एक रस्म अदायगी बनकर रह गया है। लेकिन जरूरत इस बात की है कि इस बात पर मंथन किया जाए कि आखिर देश में शिक्षकों की भारी कमी क्यों हो रही है। आज युवा पीढ़ी अपने कैरियर के रूप में शिक्षक को नहीं लेती। इसका साफ कारण यह है कि शिक्षकों को समाज में वह स्थान मिलना धीरे-धीरे बंद हो गया है  जो आज डॉक्टर, इंजीनियर या अन्य पेशा के लोगों को दिया जाता है। पैकेज डील करने के इस दौर में जहां इंजीनियर, डॉक्टर एमबीए के लोगों को जहां लाखों-लाख रुपए मिलते हैं, वहीं शिक्षकों की झोली में बमुश्किल ही पैसे आते हैं। यह एक गंभीर विषय है।
                                                  मेरा सवाल ये है कि क्या हमारे देश में आज वैसे शिक्षक हैं, जिनके सानिन्ध्य में सीवी रमण, होमी जहांगीर भाभा जैसे विद्वान पैदा हुए। जिन्होंने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को अपनी ज्ञान सरिता से निखार दिया। क्या उनके शिक्षक एमबीए या आइआइटी  किया था ? नहीं। लेकिन आज ऐसे शिक्षकों का अकाल पड़ गया है। शिक्षकों की कमी मेरी सबसे बड़ी चिंता है । मेरा कहना है कि अगर हम विश्वविद्याय  अनुदान आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो विभिन्न महाविद्यालयों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए हमें आज लगभग 14 लाख शिक्षकों की जरूरत है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का आंकड़ा बोलता है कि उत्तर प्रदेश में 3 लाख, बिहार में 2.60 लाख और पश्चिम बंगाल में एक लाख स्कूली शिक्षकों की कमी है।                                                                               
                                                  शिक्षकों के निर्माण में पैसे और सम्मान दोनों की कमी हो गई है। जहां आकर्षक पैकेज नहीं होने से युवा पीढ़ी शिक्षक के पेशे से कन्नी कटा रही है , वहीं पर शिक्षकों के सम्मान में भी काफी गिरावट आया है, यहां तक की फिल्मों और टीवी सिरियलों में भी शिक्षकों को कॉमेडी सीन के लिए रखा जाने लगा है। हालांकि कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जो कोचिंग की दुनिया में पैसे कमाने की होड़ में लगातार मूल्यों को गंवा रहे हैं, लेकिन ऐसे लोग महज मुट्ठी भर ही हैं। लेकिन उपरोक्त तमाम कारणों ने एक ऐसे माहौल का निर्माण किया है जहां शिक्षा के क्षेत्र में आत्म सम्मान खोने लगा है। लिहाजा युवाओं में शिक्षक के पेशे के प्रति रुझान बिलकुल ही खत्म हो गया है।
                                                लेकिन यह हालात बदलने होंगे। लोगों की सोच और शिक्षा के प्रति रुझान को और भी बढ़ाना होगा। तभी जाकर समाज में अच्छे शिक्षक आएंगे और लोगों को बेहतर शैक्षणिक माहौल मिलेगा। यही जिम्मेवारी सरकार के साथ-साथ समाज की भी है।

Comments ( 3 )

  • abhishek tewar[

    sir your article is mirror image of present education system. Today education system is totally in hands of persons those who have no relation with education.it is main problem

  • abhishek tewar[

    sir your article is mirror image of present education system. Today education system is totally in hands of persons those who have no relation with education.it is main problem

  • abhishek tewar[

    sir your article is mirror image of present education system. Today education system is totally in hands of persons those who have no relation with education.it is main problem

Leave a Comment