
डेंगू से न डरें
डेंगू न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में मच्छर जनित प्रमुख रोगों में से एक है । ये एक वायरल बीमारी है जो कि संक्रमित मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है । ये चार सीरोलॉजिकल टाइप का होता है । जिनमें से डेंगू हिमरैजिक फीवर एवं डेंगू शाक सिन्ड्रोम फीवर खतरनाक होते हैं । डेंगू वायरस से संक्रमित एडीज मादा मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है तो डेंगू या हड्डी तोड़ बुखार हो जाता है ।
अन्य उपयोगी लिंक - https://en.wikipedia.org/wiki/Dengue_fever
कारण
एडीज इजिप्टी नामक मच्छर इस वायरस का वाहक है । ये मच्छर काली धारी युक्त होते हैं । दिन में काटते हैं । इन्हें टाइगर मच्छर भी कहते हैं । ये साफ,शांत और रुके हुए पानी में प्रजनन करते हैं ।
लक्षण
1- ठंड के साथ तेज बुखार
2- सर,आंखों में तेज दर्द
3- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
4-भूख न लगना,उल्टी एवं दस्त
5-शरीर पर लाल चकत्ते
6- नाक व मुंह से खून आना
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जांच
1- बुखार के 24 घंटे मे N-S1(एलाइजा द्वारा )
2- बुखार के 3 - 4 दिन बाद IgM , IgG
उपचार
रोगथाम ही इसका मुख्य इलाज है । वायरल होने के कारण एंटीबायोटिक्स का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है । लक्षणों के आधार पर इलाज होता है । मरीज को आराम करना चाहिए । ज्यादा मात्रा में तरल आहार, नारियल पानी एवं ओ.आर.एस. का घोल लेना चाहिए । किसी भी प्रकार की दर्द निवारक गोली एस्प्रिन,ब्रूफेन या कॉम्बिफ्लेम नहीं लेना चाहिए ।
अन्य उपयोगी लिंक - http://www.cdc.gov/Dengue/
हौम्योपैथिक चिकित्सा
रोग की प्रथम अवस्था में यूपेटोरियम परफ 30 (eupatorium perf 30) लिया जा सकता है । जब हड्डियों में असहनीय दर्द बैचेनी हो अन्य दवाएं जैसे रस टाक्स ,ब्रायोनिया, आर्सनिक एल्बा,बेलाडोना भी असरकारक है । carica papaya Q एवं tinospora Q क्रमश: पपीते के पत्ते का रस एवं गिलोय का सत है जो कि प्लेटलेट्स काउंट को नियंत्रित करता है । इसे 15-15 बूंद एक कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार प्रयोग करें । ध्यान रखें किसी भी दवा को लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें । बिना परामर्श के कोई भी दवा न लें ।
बचाव
दो प्रकार से अपना बचाव करें
1- मच्छर के प्रजनन को रोकना है।
2- मच्छर के काटने से बचना है ।
मच्छर को रोकने के लिए कहीं भी साफ पानी एकत्र होने दें । गमलों , टूटे बर्तन ,खिलौने, कप में पानी न रूकने दें । कूलर का पानी खाली कर दें । मच्छरदानी का प्रयोग करें । पूरी बांह के ढके हुए कपड़े पहनें । मच्छर भगाने वाले साधनों का प्रयोग करें । घरों में जालीदार खिड़की के दरवाजे बंद रखें । याद रखें बचाव ही इलाज है । अत:रोकथाम करें, न विचलित हों, न विचलित करें ।