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अक्सर आपने किसी प्रोडक्ट के पैकेट पर देखा होगा कि कोई भी विवाद होने पर इसका दिल्ली
में निपटारा होगा। ऐसी ही एक सूचना को देखने के बाद इंदौर का रहने वाला रमेश एक प्रोडक्ट को खरीदने में आनाकानी कर रहा था। दुकानदार ने कहा कि इतना देखोगे तो फिर कुछ खरीद ही नहीं पाओगे। दुकानदार के कहने पर उसने ढाई सौ रुपये वाली उस प्रोडक्ट को खरीद लिया। लेकिन जैसे ही रमेश ने घर ले जाकर प्रोडक्ट का पैकेट खोला माल खराब मिला। रमेश ने तुरन्त दुकानदार से संपर्क किया, लेकिन दुकानदार ने तो साफ हाथ खड़े कर दिए और कहा कि जिस कंपनी का प्रोडक्ट है उससे संपर्क करो। बेचारा रमेश परेशान हो गया। उसने प्रोडक्ट का रैपर देखा। उस पर लिखा था कि कानूनी विवाद होने पर दिल्ली में निपटारा होगा। अब बेचारा रमेश परेशान हो गया कि अब भला ढाई सौ रुपये के प्रोडक्ट के लिए वो दिल्ली का चक्कर लगाए। ऐसे कई वाकये रोज-ब-रोज लोगों की जिंदगी में होते रहते हैं। लेकिन आप घबराएं नहीं। आप प्रोडक्ट के रैपर पर लिखी इस सूचना पर मत जाइए। अगर आपने पटना में किसी कंपनी का एयरकंडीशनर खरीदा और वो खराब निकला तो उसके लिए आपको कंपनी के मुख्यालय दौड़ने की जरुरत नहीं है। आप उसके खिलाफ पटना की अदालत की शरण ले सकते हैं। वहां की अदालत आपके साथ न्याय करेगी। अगर आपने किसी से एग्रीमेंट किया है कि विवाद होने की स्थिति में निपटारा दिल्ली में होगा लेकिन एग्रीमेंट कोलकाता में साइन हुआ है। ऐसी परिस्थिति में किसी विवाद के उत्पन्न होने पर कोलकाता में रहनेवाला आदमी चक्कर में पड़ जाएगा कि क्या करें। लेकिन इससे आप बिल्कुल न घबराएं।
द कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 1908 की धारा 20(c) के मुताबिक जहां एग्रीमेंट हुआ है वहां भी मुकदमा दायर किया जा सकता है। एक दूसरे उदाहरण पर गौर करें राम कोलकाता में व्यापारी है और श्याम दिल्ली में बिजनेस चलाता है। श्याम ने अपने किसी एजेंट के जरिए कोलकाता में राम से माल खरीदा और कहा कि वो फलां जगह पर इसकी डिलीवरी कर दे। राम ने कहे हुए जगह पर डिलीवरी कर दी। लेकिन राम और श्याम के बीच माल के मूल्य को लेकर विवाद हो गया। इस हालत में राम श्याम के खिलाफ कोलकाता में वाद दायर कर सकता है। क्योंकि खरीदने और बेचने की डील कोलकाता में हुई है।
द कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 1908 की धारा 16 कहती है कि अचल संपत्ति, उसका बंटवारा, उसकी बिक्री या उसे बंधक रखने, अचल संपत्ति के मुआवजे या उससे जुड़ी रिकवरी के मामले में केस वहीं किया जाएगा जहां की कोर्ट के दायरे में अचल संपत्ति हो। साथ ही धारा 19 के मुताबिक अगर चल संपत्ति के विवाद का केस किसी कोर्ट में किया गया और प्रतिवादी कहीं दूसरी जगह व्यवसाय करता है तो ऐसी हालत में दोनों जगह के किसी भी कोर्ट में केस दायर किया जा सकता है। लेकिन अगर बिक्री के लिए कोई एग्रीमेंट किया गया है तो धारा 16 और धारा 19 लागू नहीं होगी और उसमें धारा 20 (c) लागू होगी। यानि एग्रीमेंट जहां किया गया है वही के कोर्ट में केस दायर किया जा सकेगा।
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यही बात लागू होती है सामान खरीदने पर। अगर आपने सामान जयपुर में खरीदा है और वो प्रोडक्ट चंडीगढ़ में तैयार होता है तो उस प्रोडक्ट की खराबी के लिए आपको चंडीगढ़ के कोर्ट का रुख करने की जरुरत नहीं है क्योंकि आपने सामान जयपुर में खरीदा है। आप जयपुर में भी केस दायर कर सकते हैं। यही वजह है कि कोई अगर कानपुर में फिल्म देखता है और उसमें कुछ भड़काऊ चीजें दिखती हैं तो वो कानपुर में ही केस दर्ज करवा सकता है, उसके लिए उसे मुंबई जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
Comments ( 3 )
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लेखक का आलेख बेहद ज्ञानवर्धक है....भ्रम दूर हो गया ।
Abhishek TewariGood. Accha hai.
rameshinformative article.
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